TOP SIDH KUNJIKA SECRETS

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शृणु देवि प्रवक्ष्यामि कुञ्जिकास्तोत्रमुत्तमम् ।

No one of the limbs on the Chaṇḍī Pāṭhaḥ is effective at conveying all the magic formula with the Glory of the Goddess.

Attract a line through the Sahasrara. With the junction exactly where the eyes, ears, nose and mouth unite on that axis, that may be the location of depth Within this meditation.

देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति त्रयोदशोऽध्यायः

शृणु देवि प्रवक्ष्यामि कुंजिकास्तोत्रमुत्तमम्।

देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति षष्ठोऽध्यायः

पां पीं पूं पार्वती पूर्णा click here खां खीं खूं खेचरी तथा॥

अभक्ते नैव दातव्यं गोपितं रक्ष पार्वति ॥ १४ ॥

श्री प्रत्यंगिर अष्टोत्तर शत नामावलि

धिजाग्रं धिजाग्रं त्रोटय त्रोटय दीप्तं कुरु कुरु स्वाहा॥

श्री महिषासुर मर्दिनी स्तोत्रम् (अयिगिरि नंदिनि)

इदं तु कुंजिकास्तोत्रं मंत्रजागर्तिहेतवे ।

देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति नवमोऽध्यायः

ग्रहों के अशुभ प्रभाव खत्म हो जाते हैं. धन लाभ, विद्या अर्जन, शत्रु पर विजय, नौकरी में पदोन्नति, अच्छी सेहत, कर्ज से मुक्ति, यश-बल में बढ़ोत्तरी की इच्छा पूर्ण होती है.

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